पहली बार ऐसा हुआ है कि देश का प्रधानमंत्री इसरो में रात भर रुक कर मिशन पर नज़र रख रहा है, अन्तिम समय में सिग्नल टूट जाने पर भी वहां से उठ कर नहीं गया, वैज्ञानिकों का हौंसला बढ़ाया, बच्चों से बात की, देश को संबोधित किया।
एक लीडर का यही रोल होता है जो मोदी जी ने निभाया।

यही है नया भारत जहां टैलेंट की कद्र होने लगी है, जिन लोगों को ये असफलता लग रही है वो ये देखें कि इसरो हमेशा पैसे की कमी से जूझता रहा है लेकिन किसी पूर्व सरकार ने इसकी सुध नहीं ली।
अरे, प्रधानमंत्री तो छोड़ो कभी कोई मंत्री भी वहाँ जाकर वैज्ञानिकों के साथ खड़ा नहीं हुआ।

इस देश ने ऐसे ऐय्याश प्रधानमंत्री भी देखें हैं जिनके कपड़े धुलने के लिए विदेश जाते थे, जो विमानों पर अपने बच्चों का जन्मदिन मनाते थे, जो नौसेना के जलपोतों में हनीमून मनाते थे लेकिन मोदी जी ने आज फिर साबित कर दिया कि कोई गांधी कोई नेहरू उनके नाखून की भी बराबरी नहीं कर सकता।

गर्व है इसरो पर, गर्व है मेरे प्रधानमंत्री पर।आभार




Comments

Popular posts from this blog

अगरोट के खोखे

केराप री राजनीति