अगरोट के खोखे
अगरोट के खोखे... "खोखा" को जानने के लिए मारवाड़ी भाषा का ज्ञान होना जरूरी है वरना वो यही समझेंगे की मैं "खो-खो" खेल के बारे में बात कर रहा हूँ। राजस्थान में रहकर अगर किसी ने "खोखा" नही खाया तो समझलो कि उसने अब तक झक मारी है। वैसे राजस्थानी भाषा में "खोखा खाने" का मतलब भी झक मारना ही होता है लेकिन मैं नही मानता इस मुहावरे को! बल्कि मैं तो ये कहूँगा की खोखा और सूखे बोर (झड़का के) ये मारवाड़ के "ड्राई फ्रूट्स" है। आज भी जब राजस्थान आता हुँ तो "सालासर" से ये दो ड्राई फ्रूट्स लाना नही भूलता। काजू,बादाम, अखरोट,पिस्ता झक मारते हैं अगर किसी ने बचपन में ये खाये हो तो। मैं ये भी जानता हूं कि आजकल की जनरेशन सबके सामने खोखे खाना अपनी शान के खिलाफ मानते हैं लेकिन छुप छुपकर जरूर खाते हैं। खोखा और वो भी "अगरोट" के! वाह वाह... क्या स्वाद है ..। खोखो का भी मौसम होता हैं एक महीने तक का! और जो खेजड़ी पर खुद पक कर सूखते है वो ही ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं। इसमें भी ध्यान रखना पड़ता कि वो भैरूजी के खेजड़े के तो नही है? वरना उल्टी होने